शादी के अटूट बन्धन में बंध गए उनके प्यार को मंज़िल मिल चुकी थी। शादी के अटूट बन्धन में बंध गए उनके प्यार को मंज़िल मिल चुकी थी।
"कोई बात नहीं, हमें स्वीकार है आपकी बेटी"। "कोई बात नहीं, हमें स्वीकार है आपकी बेटी"।
रत्ना थोड़े असमंजस में थी रत्ना थोड़े असमंजस में थी
क्यों हर रस्म पर मेरे मायके से लायी हुए चीजों का नाम क्यों आ रहा है क्यों हर रस्म पर मेरे मायके से लायी हुए चीजों का नाम क्यों आ रहा है
पर यह रिवाज उसको कहीं बहुत परेशान भी कर रहा था। पर यह रिवाज उसको कहीं बहुत परेशान भी कर रहा था।
साँसें कम होती जा रही है, एक लंबी साँस उधार दे दो ना। बीती बातें याद आती हैं.... बीती बातें याद आती ... साँसें कम होती जा रही है, एक लंबी साँस उधार दे दो ना। बीती बातें याद आती हैं.......